कैसे बच्चों को अनुशासित करें (Discipline a Child)


बच्चों को अनुशासन सिखाने का मतलब, उन्हें सजा देना नहीं होता, बल्कि आपको उन्हें अच्छे से बर्ताव करना सिखाना होता है।[१] आपके बच्चे की उम्र के हिसाब से, आपको उन्हें अलग-अलग तरीके से अनुशासित करना होगा। अपने बच्चे को अनुशासित करते वक़्त, कुछ ऐसे नियम बनाकर शुरुआत करें, जिसे आपका बच्चा अच्छी तरह से समझ पाये। अनुशासन को अमल में लाते वक़्त, एकदम नियमित रहें, और कुछ ऐसे नियम बनाएँ, जो आपके बच्चे को सफलता की तरफ जाने को प्रेरित करे। आपका बच्चा जब कुछ अच्छा करे, तो उसे सपोर्ट करें और उसके अच्छे बर्ताव को प्रोत्साहित भी करें।

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घर के लिए नियम बनाएँ: आपके बच्चे की उम्र के अनुसार, ये जरूरी है, कि उन्हें सही और गलत बर्ताव के बीच का अंतर मालूम हो। आपके बच्चे को मालूम होना चाहिए, कि घर के लिए नियम बनाकर, आप उनकी तरफ से क्या अपेक्षा रख रहे हैं। आपके बच्चे को मालूम होना चाहिए, कि उनका कौन सा बर्ताव सीमा से बाहर है, और नियम तोड़ने पर क्या होता है।[२]
  • ये नियम और इनके परिणाम, आपके बच्चे की उम्र और उसके मेच्योरिटी लेवल के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। एक छोटे बच्चे के लिए, किसी को नहीं मारना है, वाला नियम लगेगा और वहीं किसी बड़े बच्चे के लिए घर से बाहर नहीं जाने (कर्फ़्यू) का नियम लगेगा। आपका बच्चा मेच्योर हो या उसे कुछ नई सीमाओं की जरूरत हो, आपको उनके साथ में एक नम्यता के साथ बात करनी होगी।
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एक रूटीन बना लें: बच्चे अक्सर ही रूटीन के साथ में बढ़ते हैं, क्योंकि इन से उन्हें सेफ, सिक्योर महसूस करने में मदद मिलती है, और जैसे कि इसकी वजह से उन्हें भी अनुमान लग जाता है, अब आगे क्या होना है। अगर आपने ऐसा नोटिस किया है, कि आपका बच्चा हर रोज, एक ही वक़्त पर, किसी बर्ताव से सामना कर रहा है या फिर जब उसे थकान होती है, तो वो रोने लगता है, तो इन सारी बातों को ध्यान में रख लें और फिर एक ऐसा रूटीन बनाएँ, जो उनकी जरूरतों को पूरा कर सके।[३]
  • सुबह उठने और रात को सोने जाने का रूटीन तैयार रखें, ताकि आपका बच्चा अपने दिन का अनुमान लगा सके।
  • अगर आपके बच्चे के रूटीन में किसी तरह का बदलाव हो रहा है (जैसे डेंटिस्ट के पास जाना या फिर वीकेंड पर किसी फ़ैमिली मेंबर का मिलने आना या मिलने जाना), तो उन्हें पहले से ही इसके बारे में बता दें।
  • कुछ बच्चे बिना परेशान हुए, एक एक्टिविटी से दूसरी एक्टिविटी पर नहीं जा पाते हैं। अगर आपके बच्चे को एडजस्ट होने के लिए कुछ वक़्त की जरूरत है, तो इसे भी उसके रूटीन में एड कर दें।
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उनके बर्ताव के लिए कुछ सामान्य परिणाम भी तैयार रखें: ऐसे सामान्य परिणाम बनाकर रखने से, आपके बच्चे के मन में किसी चीज़ को करने पर उसके परिणाम भुगतने की धारणा बनेगी और उनके अंदर अपनी खुद की ज़िम्मेदारी की भावना भी जन्म लेगी। इन नेचरल परिणामों को होने की अनुमति देते समय, अपने बच्चे के विकल्प दें और उन्हें बताएं कि उनके विकल्पों के नतीजे क्या होंगे। आखिर में, आपका बच्चा खुद तय करेगा और उसके नतीजे को भी देख लेगा।[४]
  • इन नतीजों के उचित होने और ऐसा कुछ होने की पुष्टि कर लें, जिससे आपके बच्चे को अपनी गलतियों से सीखने में मदद मिले।[५]
  • उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा पार्क जाने के लिए तैयार होने में बहुत ज्यादा वक़्त लेता है, तो फिर इसके परिणामस्वरूप उसे पार्क में खेलने को कम वक़्त मिलेगा।
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इन नतीजों के साथ पक्के रहें: ज़्यादातर पैरेंट्स की, अपने बच्चे को किसी न किसी तरह इन परिणामों से बचा लेने की आदत होती है या वो कभी-कभी उनके अनुचित बर्ताव को सहन करके, उन्हें नतीजे का सामना करने से बचा लिया करते हैं। बच्चों को मालूम होना चाहिए, कि आप कभी भी उन नतीजों का पालन करने से नहीं चूकने वाले हैं और उनकी चालाकी यहाँ कोई काम नहीं आएगी। उन्हें दिखा दें, कि अगर वो गलती करेंगे, तो इसके नतीजे तो इन्हें झेलना ही होंगे।[६]
  • आपका बच्चा अगर अपनी गलती के लिए कोई बहाना बनाता है, या अपने गलत व्यवहार के लिए कोई सफाई देता है, तो भी आपको नहीं बदलना है। आप अपनी ओर से स्पष्ट रहें, और कहें, “तुमने एक नियम तोड़ा है, तो तुम्हें इसके परिणाम को तो भुगतना ही पड़ेगा।”
  • अगर आपके ज्यादा बच्चे हैं (या आपके साथ में और भी लोगों के बच्चे रहते हैं), तो ऐसे में अपने नियमों के लिए हर एक बच्चे के साथ में एक-समान बर्ताव करना बेहद जरूरी है। नहीं तो, ऐसे में उन्हें ऐसा लगेगा, कि आप उनके साथ में नाइंसाफी कर रहे हैं।
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वास्तविक उम्मीदें रखें: अपने बच्चों के बर्ताव के लिए बहुत ज्यादा उम्मीदें बना लेने से, उन्हें अपने ऊपर एक तरह के प्रैशर का अहसास होने लगेगा, वहीं अगर आप इस उम्मीद को एकदम ही कम कर देंगे, तो इससे भी आपका बच्चा बिगड़ने की राह पर चला जाएगा या वो कभी भी अपनी पूरी इच्छा से कुछ नहीं करेगा। सारे बच्चे अलग होते हैं, और उन सबके अंदर अलग-अलग तरह की ताकत (स्ट्रेंथ) और अलग-अलग कमजोरियाँ (वीकनेस) भी होती हैं। अगर आपका एक बड़ा बच्चा है, तो ऐसे में अपने छोटे बच्चे से, उस बड़े बच्चे की तरह बर्ताव करने की उम्मीद न लगाएँ।[७]
  • आपके बच्चे की उम्र के अनुसार, आपको उसके साथ में कैसा बर्ताव करना चाहिए, जो उसके लिए उचित हो, और जो उसके विकास में मदद भी करे, अपने आपको इन सारी बातों से परिचित रखें।
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